एक भारत, नेक भारत, अनेक परंपराएं ।
- संस्कृत का उदय
- 29 जुल॰
- 4 मिनट पठन
संस्कृति की विविधता में एकता का अद्भुत संगम।
भारत, एक ऐसा देश जो विविधता में एकता का जीता-जागता उदाहरण है। यह भूमि न केवल भौगोलिक दृष्टि से विशाल है, बल्कि इसकी संस्कृति, परंपराएं, भाषाएं, आस्थाएं, खानपान, और जीवनशैली भी अत्यंत विविधतापूर्ण हैं। फिर भी, यह विविधता हमारे राष्ट्र की एकता को कमजोर करने के बजाय और मजबूत करती है।
एक भारत, नेक भारत, अनेक परंपराएं" केवल एक नारा नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का प्रतिबिंब है।
1. भारत की सांस्कृतिक विविधता का परिचय
2. अनेक परंपराएं: भारत की आत्मा
3. भाषाई विविधता में एकता
4. धार्मिक विविधता और सह-अस्तित्व
5. खानपान की विविधता
6. कला और शिल्प की परंपराएं
7. लोक संगीत और नृत्य की विविधता
8. एकता के प्रतीक: राष्ट्रीय प्रतीक और प्रतीक चिह्न
9. आधुनिक भारत में परंपराओं की भूमिका
10. ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ – एक राष्ट्रीय प्रयास
भारत की सांस्कृतिक विविधता का परिचय
भारत में हर राज्य, हर क्षेत्र और हर समुदाय की अपनी अलग संस्कृति और परंपरा है। जैसे उत्तर भारत में होली और दिवाली को धूमधाम से मनाया जाता है, वैसे ही दक्षिण भारत में पोंगल और ओणम का विशेष महत्व है। पूर्वोत्तर में बिहू और पश्चिम में गणगौर जैसे पर्व स्थानीय संस्कृति की आत्मा हैं।
यह विविधता न केवल त्योहारों में, बल्कि लोगों के पहनावे, भाषा, संगीत, नृत्य और खानपान में भी देखने को मिलती है। यह हमें यह सिखाती है कि अलग-अलग होकर भी हम एक साथ हैं — यही “एक भारत, नेक भारत” की भावना है।
अनेक परंपराएं: भारत की आत्मा
भारत की परंपराएं हजारों वर्षों पुरानी हैं और समय के साथ इनमें और भी समृद्धि आई है। ये परंपराएं केवल रस्में या रीति-रिवाज नहीं हैं, बल्कि उनमें गहरी सामाजिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक समझ छिपी होती है।
अतिथि देवो भवः – भारत में अतिथि को भगवान के समान माना जाता है। यह परंपरा आज भी हर भारतीय घर में जीवित है।
वसुधैव कुटुम्बकम् – संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानने की यह भारतीय सोच आज भी वैश्विक शांति की राह दिखा रही है।
योग और आयुर्वेद – भारतीय परंपराओं में स्वास्थ्य और संतुलन को सर्वोच्च माना गया है।
भाषाई विविधता में एकता
भारत में 22 अनुसूचित भाषाएं और 19,500 से अधिक बोलियाँ हैं। एक ही देश में इतनी भाषाओं का सह-अस्तित्व, दुनिया में दुर्लभ है। फिर भी, हम सब एक-दूसरे की भाषा को सम्मान देते हैं, और हिंदी एवं अंग्रेजी जैसे भाषाएं संपर्क भाषा के रूप में एकता बनाए रखती हैं।
सरकार की ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ योजना के अंतर्गत विभिन्न राज्यों को एक-दूसरे से जोड़ा गया है ताकि एक राज्य के लोग दूसरे राज्य की भाषा, कला और संस्कृति को समझें और सम्मान दें।
पंथ विविधता और सह-अस्तित्व
भारत में मूल मुख्य धर्म सनातन औरअनेक पंथ जैन,बौद्ध,ईसाई,मुस्लिम,सिख पारसी और यहूदी जैसे का घर है। हर पंथ की अपनी परंपराएं और रीति-रिवाज हैं। फिर भी हम एक साथ रहते हैं, एक-दूसरे के पर्वों में भाग लेते हैं, और मेल-जोल से समाज को मजबूत बनाते हैं।
खानपान की विविधता
भारत का भोजन हर क्षेत्र में अलग-अलग रूपों में उपलब्ध है। उत्तर भारत में मसालेदार सब्जियाँ, पूड़ी, छोले-भटूरे और पराठे प्रमुख हैं। दक्षिण भारत में इडली, डोसा, सांभर का स्वाद लोगों को भाता है। पश्चिमी भारत में ढोकला, खाखरा और थाली प्रमुख हैं, वहीं पूर्व में माछ-भात और मोमोज लोकप्रिय हैं।
अनेक प्रकार की पकवान परंपराओं से जुड़ी हुई हैं – किसी का धार्मिक महत्व है, किसी का सांस्कृतिक, और किसी का औषधीय गुणों से भरपूर।
कला और शिल्प की परंपराएं
भारतीय कला का इतिहास अत्यंत समृद्ध है – चाहे वह चित्रकला हो, मूर्तिकला, वास्तुकला या हस्तशिल्प। विभिन्न राज्यों की कलाओं में स्थानीय परंपराओं की छाप स्पष्ट दिखती है।
मधुबनी पेंटिंग (बिहार)
वारली चित्रकला (महाराष्ट्र)
कोंकणी शिल्प (गोवा)
तंजावुर पेंटिंग (तमिलनाडु)
हर कला रूप भारत की अनेकता को दर्शाता है, फिर भी सब मिलकर भारत की सांस्कृतिक एकता को सजाते हैं।
लोक संगीत और नृत्य की विविधता
भारत के लोकनृत्य और संगीत पारंपरिक कथाओं, लोक विश्वासों और रीति-रिवाजों से जुड़े हुए हैं।
पंजाब का भांगड़ा और गिद्धा
ओडिशा का ओडिसी नृत्य
केरल का कथकली और मोहिनीअट्टम
राजस्थान का कालबेलिया और घूमर
ये सभी नृत्य केवल प्रदर्शन नहीं हैं, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं का जीवंत रूप हैं।
एकता के प्रतीक: राष्ट्रीय प्रतीक और प्रतीक चिह्न
हमारी अनेकता के बावजूद हम सब एक झंडे, एक संविधान और एक राष्ट्रीय गान के अधीन हैं।
तिरंगा – सभी धर्मों और जातियों का प्रतीक
जन गण मन – एकता का गीत
संविधान – सबके अधिकारों की रक्षा करने वाला
अशोक चक्र – कर्म और प्रगति का प्रतीक
यह सभी प्रतीक हमारी विविधता के बीच एकता को बल देते हैं।
आधुनिक भारत में परंपराओं की भूमिका
आज के समय में तकनीक और आधुनिकता की ओर बढ़ते भारत में भी हमारी परंपराएं और रीति-रिवाज हमारी पहचान बने हुए हैं। त्योहार, संस्कार, पारंपरिक पोशाक, भाषा, भोजन और व्यवहार — सबमें आज भी भारतीय संस्कृति की झलक है।
नए भारत में युवाओं ने भी परंपराओं को अपनाया है। सोशल मीडिया, ब्लॉग्स और यूट्यूब जैसे माध्यमों के जरिए लोग अपने रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक गतिविधियों को दुनिया तक पहुँचा रहे हैं।
एक भारत श्रेष्ठ भारत’ – एक राष्ट्रीय प्रयास
भारत सरकार द्वारा चलाया गया "एक भारत श्रेष्ठ भारत" कार्यक्रम इसी विचार पर आधारित है कि विविधता में एकता ही भारत की शक्ति है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत:
अलग-अलग राज्यों को आपसी संस्कृति, भाषा, भोजन आदि का आदान-प्रदान कराया जाता है।
विद्यार्थियों, कर्मचारियों और कलाकारों को विभिन्न राज्यों में जाकर वहाँ की संस्कृति को समझने का मौका दिया जाता है।
इस पहल ने न केवल राज्यों को करीब लाया है, बल्कि देशभक्ति और आपसी सद्भाव भी बढ़ाया है।
निष्कर्ष:
“एक भारत, नेक भारत, अनेक परंपराएं” का अर्थ है — अनेकता में एकता। भारत में हर रंग, हर बोली, हर रीति, हर धर्म, हर गीत, हर नृत्य – सबका अलग स्वर है, पर वे सब मिलकर एक महाकाव्य बनाते हैं जिसका नाम है भारत
हम भारतीय होने के नाते, इस सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना और अगली पीढ़ियों तक पहुँचाना हमारा कर्तव्य है। परंपराएं केवल अतीत की बात नहीं हैं, वे हमारी आज की पहचान और भविष्य की प्रेरणा हैं।
जयतु जयतु संस्कृतम्
जय हिन्द!
वंदे मातरम्!
अनेकता में एकता" एक वाक्यांश है जो भारत की संस्कृति और समाज की एक महत्वपूर्ण विशेषता को दर्शाता है। इसका मतलब है कि विभिन्न धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों और जातियों के लोग एक साथ रहते हुए भी एकता बनाए रखते हैं।