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संस्कृत भाषा भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक, और साहित्यिक जीवन की मूल भाषा है, संस्कृत का उदय वैदिक काल से प्रारंभ होकर समय के साथ व्यापक विकास हुआ।

संस्कृत सनातन धर्म की प्राचीन पवित्र भाषा है, जिसका उपयोग वेदों, जैन बौद्ध एवं ग्रंथों में होता आया है। विद्वानों के अनुसार ऋग्वेद की रचना लगभग 3500 ई.पू. में हुई, और यह वैदिक संस्कृत का प्रारंभ माना जाता है। ऋषि पाणिनि के व्याकरण के नियमों ने संस्कृत को शुद्ध और व्यवस्थित भाषा बनाया, इसलिए इसे 'संस्कृत' नाम दिया गया, जिसका अर्थ "संस्कारयुक्त, सुव्यवस्थित भाषा" है।



संस्कृत के दो मुख्य रूप हैं:

  • वैदिक संस्कृत (प्राचीन, धार्मिक और यज्ञ संबंधी ग्रंथों की भाषा)

  • लौकिक संस्कृत (रामायण, महाभारत आदि जैसे महाकाव्यों और सामान्य साहित्य की भाषा)


"संस्कृत भाषा के दो रूप हमारे सामने प्रस्तुत हैं। वैदिक और लौकिक। वैदिक भाषा में संहिता व ब्राह्मण ग्रंथों की रचना हुई है। लौकिक भाषा का प्रारंभ रामायण में होता है।"


संस्कृत का भारत में महत्व और प्रभाव

संस्कृत भाषा ने न केवल धार्मिक और दार्शनिक विचारों का प्रसार किया,बल्कि इसने भारतीय सांस्कृतिक विविधता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 


संस्कृत का उदय वैदिक काल से शुरू होकर समय-समय पर विभिन्न साहित्यिक एवं धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से विकसित हुआ। इसकी संरचना अत्यंत शुद्ध और सांस्कृतिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आज भी संस्कृत शिक्षा, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से तेजी से फैल रही है और भारतीय सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा बनी हुई है।



 
 
 

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